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Sunday, 17 June 2018

बागवां ने झेले कांटे, खिले बगिया के फूल

'महसूस कीजिए कि यहां रिश्तों की क्या खूबसूरती है। मां अगर ममता का सागर है तो पिता का साया भला कहां आसमान से कम है। वह तमाम परिस्थितियां झेलकर अपनी संतान को आगे बढ़ने की राह देना चाहते हैं। मगर, इस फादर्स डे पर हम आपको ऐसे पिता की दास्तान बता रहे हैं, जिन्होंने खुद तपकर बच्चों को सोने की तरह निखारा।

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